पुनर्विवाह तक पति भी मुआवजे का हकदार

नई दिल्ली। बदले हुए सामाजिक परिदृश्य में महिला और पुरुष दोनों को बराबर का दर्जा दिया जाता है। दिल्ली की एक अदालत ने निर्णय दिया है कि सड़क दुर्घटना में कामकाजी पत्नी की मौत के बाद उसका पति भी पुनर्विवाह तक मासिक मुआवजा पाने का हकदार होगा। एस. के. शर्मा की अध्यक्षता वाले मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण के निर्णय के अनुसार पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग कानून नहीं हो सकते हैं। किसी महिला के शिक्षित और स्वतंत्र रूप से कमाऊ होने या नहीं होने के मामले में विशेष कानून नहीं हो सकता। ऐसा नहीं कि वह हमेशा ही पुरुष पर निर्भर रहती है। अदालत ने ऐसा निर्णय दुर्घटना में अपनी पत्नी को खो चुके उस व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए दिया, जिसमें उसने महिलाओं के पुनर्विवाह के बाद मासिक मुआवजे पर रोक के विपरीत उसे पुनर्विवाह के बाद भी मुआवजा दिए जाने की मांग की थी।
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Comments

चलो अच्छा है पुरुषों को भी न्याय मिल सकेगा |
अच्‍छा निर्णय है।
निर्णय सही नहीं है। मुआवजा एक बार तय किया जा सकता है। जैसे ही अदालत मुआवजा तय होता है। उस पर प्राप्त करने का अधिकार हो जाता है। अदालत को उस में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं। उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया है कि विधवा को विवाह कर लेने पर मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता है।

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