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starting blogging - pankaj vyas

hello everyone, from today I am again starting blogging after a long time. this blog aap hum is for hindi, but i have to English post. in my cell hindi is not working. i had two options - eieither I dont write any post or i write in english. so, finally i have selecsel second option to write post in english. I hope my blog lovers and Hindi lovers, hindi premi, hindi bhashi will undunderstand this thithi. second reason to write post in english is that nowadays i teach English. so the posts of this blog aapaap-hum.blogspot  will be also helpful for English lovers and english learners. here, i m thankful to all blog visitors that i hadn't been posting for long period, but due to blog visitors and blog lovers, this blog is still popular. i am again thankful for them who made my blog popular in india and abroad. pankaj vyas

Daily routine sentences 1

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निरंतर लिखो, आलोचकों की परवाह मत करो -बैरागी

जमनेश नागौरी रचित 'पीड़ा की पगडंडी' मुक्तक संकलन का विमोचन  नीमच| कविता जहां लोरी से बच्चों को सुलाती है, वहीं कविता जागरण भी करती है। निरंतर लिखने से कब सरस्वती विराजमान हो जाए कहा नहीं जा सकता। कविता भाषा, वाणी और दर्शन से सार्थक होती है। नीमच जिला देशभर में साहित्य के नाम से भी जाना जाता है। निरंतर लिखो, आलोचकों की परवाह मत करो। संसार में आलोचकों के स्मारक नहीं होते। यह बात साहित्यकार बालकवि बैरागी ने कही। वे आनंद मंगल भवन में जमनेश नागौरी रचित 'पीड़ा की पगडंडी' मुक्तक संकलन के विमोचन समारोह में बोल रहे थे। सीआरपीएफ डीआईजी बीएस चौहान ने कहा पुस्तक 40 वर्षों की साहित्य साधना का निचोड़ है। गजलकार प्रमोद रामावत ने कहा नवोदित कलमकारों को पढऩे-लिखने के लिए प्रोत्साहन देने हम सदा तत्पर हैं। मंचों पर कविता के नाम पर फूहड़पन बढ़ता जा रहा है। कवि जमनेश नागोरी ने कहा पीड़ा की पगडंडी के लिए मैं चार दशकों तक अपनी बगिया को सींचता रहा हूं। मेरे काव्य उपवन का यह प्रथम प्रसून है। सिंगोली नपं के पूर्व अध्यक्ष घीसालाल पटवा ने कहा सामाजिक क्षेत्र के बाद साहित्य में आना चुनौतीपूर्ण

हमारा रतलाम ब्लॉग पंकज व्यास का नहीं

काफी दिनों के बाद चिट्ठाजगत में सक्रिय होने जा रहा हूँ. समय की कमी रही. मन-मानस के लियें इस दूरी का भी एक अलग अनुभव रहा.   इस दौरान समाज में, विशेषकर रतलाम में, किन्ही कारणों से यह सन्देश गया- हमारा रतलाम ब्लॉग पंकज व्यास का है. इस पोस्ट के माध्यम से मै सबको सूचित कर देना चाहता हूँ- हमारा रतलाम ब्लॉग मेरा याने, पंकज व्यास का नहीं है.  हमारा रतलाम ब्लॉग पर प्रकाशित किसी भी लेख व सामग्री से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मेरा कोई सम्बन्ध नहीं है, न रहा है और न रहेगा, क्योंकि मै छद्म नाम से, गुमनाम नाम से या बे नाम से कोई ब्लॉग नहीं लिखता हूँ.   ....आपका  पंकज व्यास, रतलाम     

प्रसंगवश: विवेकानंद जयंती और सूर्य नमस्कार 12 जनवरी, ऊर्जावान, विवेकवान युवा भारत के लिए आओ करें सूर्य नमस्कार

-पंकज व्यास, रतलाम  12 जनवरी को विवेकानंद जयंती मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद को कौन नहीं जानता? उनके बारे में, उनके व्यक्ति के बारे में हर भारतीय भलीभांति परिचित होगा। सब जानते हैं कि किस तरह स्वामी विवेकानंद ने अपने विवेक से, अपनी मेधा से पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम फहराया। भारत से लेकर शिकांगो सम्मेलन तक स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति की अक्षुण्य पताका फहराई है। भारतीय संस्कृति, ज्ञान विज्ञान के आकाश में सूर्य की भांति दैदिप्यमान है विवेकानंद।