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Showing posts from October, 2007

दोस्ती - पुनम कुशवाह

गम के मौसम में खुशियों का झोंका देकर जाए जो जिंदगी में सबसे प्यारी होती है वो दोस्ती प्रकृति ने जिसे हमें उपहार के रूप में देय है, खुदा की देन होती है वो दोस्ती जिसके रहने से जीवन का हर पल खुशियों से भर जाता है खुशियों के खजाने का हीरा है वो दोस्ती जिसे मन की बात करने से बडे से बडा दर्द काम हो जाता है मन का दर्द काम करने की दवा है वो दोस्ती दोस्त न होते जीवन में तो मुस्कराहट न होती चेहरे पर इस जिन्दगी में खुशियों का कारवा है वो दोस्ती मिल जाती है अपने आप सच्ची दोस्ती मिल न सके वो नदियाँ का किनारा नहीं है दोस्ती।

कमाल दिखाता मास्टर कर्तव्य - पंकज व्यास

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रतलाम/ यह है तीन साल का मास्ट र कर्तव्य त्रिवेदी। है तो यह तीन साल का, आम बच्चों जैसा। वही बच्चों जैसे हरकतें-शरारतें, पर इसकी एक बात इसे खास बनाती है और वह है १३ फीट मल्लखम्ब पर अजीबो गरीबो तरीको से चड़ना। उम्र केवल ३ साल। रंग गैहूआ । निवास - रतलाम . आजिबोगरीब तरीके से मल्लाखाम्बा पर चड़ना इसकी खासियत है। इन चित्रों में नन्हा कर्तव्य अपने करतब दिखाता हुआ। यह तो केवल एक ही सीन है । जब आप इसे करतब दिखाते देखा लेंगे तो दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर हो जायेंगे।

bhagwat photo of Ratlam

आक्टूबर माह में रतलाम के प्रताप नगर में भागवत ज्ञान यज्ञ का आयोजन हुआ। संगीतमय भागवत कथा करते भागवत मर्मज्ञ पंडित विवेक व्यास। साथ है चन्द्र प्रकाश। दूसरे फोटो में श्रीमद भागवत पुरान की आरती करती महिलाएं।

language is not a matter.

आप-हम- पंकज व्यास

आप-हम इस समाज का हिस्सा है। आप-हम से ही समाज बना है। आप-हम ही समाज को बनाते-बिगाड़ते हैं। आप और हमारे जीवन में कई बार ऐसे मौके आते है, जब खुशियों के ढेर लग जाते हैं, तो कभी जीवन में गम व्याप्त हो जाता है। ग़मों में हमें खुशियाँ बटोरना होती है। आप और हमारी खुशियों व ग़मों के पल में आप-हम 'आप-हम' पर साथ रहेंगे। आप-हम। ये आप-हम ही है, जो कभी प्यार-मोहब्बत के बातें करते हैं, तो दूसरे ही पल किसी का खून पीने को उतारू हो जाते हैं। आप-हम ही है जो कभी हरिश्चंद्र की औलाद बन जाते हैं, तो दूसरे ही पल झूट बोलने से भी गुरेज नहीं करते हैं। आप-हम ही हैं जो हिन्दी से प्रेम करते है व इंग्लिश भी सीखते हैं। हम भी अंग्रेजी सीखना पसंद करते हैं। वास्तव में हम भाषा की बात करना पसंद करते है। हम हिन्दी से प्रेम करते है, उसे सम्मान देना चाहते हैं, न कि ओरों की तरह हिन्दी-अंग्रेजी में युद्ध का माहौल पैदा करना चाहते है। हम-आप न केवल हिन्दी का विकास चाहते हैं, वरन हिन्दी वालों का भी विकास चाहते हैं। ... और यदि विकास के लिये, उन्नति के लिये हिन्दी वालें इंग्लिश सीखते हैं, तो इसमें हर्ज ही क्या है ? कोई हम हि

मुक्तक - अंसार अनंत

तंत्र को फीक्र नहीं कैसी है प्रजा, प्रजा को पता नहीं कैसा है तंत्र फिर भी चारों ओर उठता रहता है शोर, प्रजातंत्र... प्रजातंत्र... प्रजातंत्र... रचनाकार वरिष्ठ साहित्यकार है

रोटी -शिव चौहान 'शिव'

रोटी भूख की व्याकुलता को शांत करती रोटी पेट की आग को बुझाती रोटी। प्लेटफार्म पर या गाडियों में बूट-पोलिश हो होटलों में काम या कूड़े के ढेर में पन्नी बिनना हो या किसी के आगे दो पैसे के लिए गिरगिराना हो कभी भी उम्र का लिहाज नही करती रोटी.....

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आप के अपनो की जन्मदिन की मुबारक बात दें । आपने पहले प्यारा के बारे में बतायें। अपने आसपास की प्रतिभा के बारे में जानकारी दें। अपने लेख भेजें। Pan_vya@yahoo.co.in

मुक्तक - पंकज व्यास

दिलो में नफरते है, बहूत दूर होनी चाहिऐ । मंदिर-मस्जिद में दूरिया है बहूत, नष्ट होना चाहियें धर्मं निरपेक्ष देश है मेरा , यहाँ हर धर्मं का सम्मान होना चाहियें ।

आप और हम

आप और हम कभी खुशी कभी गम आप और हम इस संसार की अनुपम कृति हैं। हमारे और आपके जीवन मे कभी गम आता है तो कभी खुशी से सरोबार हो जाता है। हम इस ब्लोग्स पर आपके खुशी मे भी शामिल होंगें और आपके ग़मों को भी पाटने के कोशिश करेंगे।