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Showing posts from December, 2008

हेप्पी न्यू इयर 2009

समय की कुछ कमी है, वरना सबको अच्छे से नए साल की बधाई देता। फिलहाल, नववर्ष 2009 की सच्चे से, सच्चे मन से बधाई। किसी औपचारिकता की जरूरत मैं नहीं मानता, इसलिए सीधे-सीधे नए साल की बधाई व शुभ कामनाएं। बाकी की शुभकामनाएं जो दिल से निकल रहीं हैं, शब्दों में व्यक्त फिलहाल नहीं कर पा रहा हूं, समय की कमी है, बाकी आप निश्चिंत रहे आप सबके लिए अच्छी ही कामनाएं हैं। सोचा तो था जो कविता मन में बन रहीं है, वो शब्दों से बयां कर दूंगा, लेकिन वक्त ने कुछ और के लिए मेरा समय ले रखा है। आप इन पंक्तियों से काम चलाएं कि आपके आंगन में खुशियों की बहार हो, सुख-समृद्घि का साथ हो, नए साल 2009 में शुभकामनाएं हैं हमारी, इतनी ऊंचाईयों मिले आपको, कि वक्त भी आपके साथ का मोहताज हो। हेप्पी न्यू इयर 2009 पंकज व्यास, रतलाम

यहाँ पोस्ट चिटठा जगत पर चिट्ठे को अधिकृत करने के नाम

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यहाँ पोस्ट चिटठा जगत पर चिट्ठे को अधिकृत करने के नाम. जी हाँ काफी दिनों से चिट्ठाजगत से जिदाने की कोसिषा कर रहा था, लगता है आज सफल हुआ. पंकज व्यास
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हाथी के दांत खाने के अलग, दिखाने के अलग

शबनम मौसी को विजय श्री दिलवाकर मतदाताओं ने यह संदेश भी दिया कि योग्य, निष्ठïावान, ईमानदार प्रत्याशी के अभाव में कहीं किन्नर एक अच्छा उम्मीदवार है। >> एस.सी. कटारिया, रतलाम योग्य व प्रतिभा संपन्न जनों द्वारा प्रजातांत्रिक चुनाव प्रणाली में हिस्सेदारी नहीं करने से भी लोकतंत्र की फजीहत हो रही हे। श्रीपाल नाइक तथा शबनम मौसी का विधानसभा का प्रत्याशी बनना आम जनता का हमारी वर्तमान चुनाव प्रणाली के विरोध का प्रतिकात्मक आक्रोश है। शबनम मौसी को विजय श्री दिलवाकर मतदाताओं ने यह संदेश भी दिया कि योग्य, निष्ठïावान, ईमानदार प्रत्याशी के अभाव में कहीं किन्नर एक अच्छा उम्मीदवार है। भारतीय लोकतंत्र के एक महत्वपूर्ण अध्याय चुनाव को धन व बाहुबल की राजनीति से विशेष खतरा है। चुनाव आयोग द्वारा इस पर अंकुश लगाने व विभिन्न कानूनों के माध्यम से चुनाव में व्याप्त विसंगतियों पर लाम खिंचने पर अभी हाल में हुए निर्वाचनों पर काफी फर्क पड़ा है और राजनीति की दशा-दिशा ही बदल गई। फिर भी अभी चुनावों में जिस तरह काले या सफेद धन का बेरहमी से व्यय हुआ वह चिंताजनक है। विभिन्न प्रत्याशियों ने चुनाव में किए गए खर्च ब्यौ

पुनर्विवाह तक पति भी मुआवजे का हकदार

नई दिल्ली। बदले हुए सामाजिक परिदृश्य में महिला और पुरुष दोनों को बराबर का दर्जा दिया जाता है। दिल्ली की एक अदालत ने निर्णय दिया है कि सड़क दुर्घटना में कामकाजी पत्नी की मौत के बाद उसका पति भी पुनर्विवाह तक मासिक मुआवजा पाने का हकदार होगा। एस. के. शर्मा की अध्यक्षता वाले मोटर दुर्घटना दावा प्राधिकरण के निर्णय के अनुसार पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग कानून नहीं हो सकते हैं। किसी महिला के शिक्षित और स्वतंत्र रूप से कमाऊ होने या नहीं होने के मामले में विशेष कानून नहीं हो सकता। ऐसा नहीं कि वह हमेशा ही पुरुष पर निर्भर रहती है। अदालत ने ऐसा निर्णय दुर्घटना में अपनी पत्नी को खो चुके उस व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए दिया, जिसमें उसने महिलाओं के पुनर्विवाह के बाद मासिक मुआवजे पर रोक के विपरीत उसे पुनर्विवाह के बाद भी मुआवजा दिए जाने की मांग की थी। साभार

...उन्होंने हाथ से लिख दी पुस्तिका

16 दिसंबर 1979 को एक संस्था संवेदना-साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच अस्तिव में आई, जो अपनी स्थापना से लेकर अब तक सांस्कृतिक एवं सहित्यिकआयोजनों में तल्लीन है। उसनें कभी काव्य समारोह आयोजित किए, तो कभी प्रदर्शनियां लगाई, कभी सम्मान समारोह हुए तो कभी स्मारिकाएं निकालीं, और शुरूआत में तो ललक ऐसी थी कि हस्तलिखित स्मारिका शब्दशिल्प निकाल दी, जो आज दस्तावेज बन गई है। हाल ही में संवेदना-साहित्यिक एवं सांसकृतिक मंच ने अपना स्थापना दिवस मनाया। जब हमने उसके बारे में विस्तार से जाना तो ये बानगी सामने आई। >> पंकज व्यास, 16 दिसंबर 1979 को पी.एच.ई. के इंजीनियर मनोज शुक्ला के निवास पर कुछ कवि मित्रों ओमरंगशाही व सुरेश परमार के संयुक्त प्रयास से एक संस्था संवेदना, साहित्यिक, सांस्कृति मंच अस्तिव में आई। संस्था संवेदना की साहित्य के प्रति ललक ऐसी थी कि संस्था की प्रथम पुस्तिका 'शब्द शिल्प' निकाली, हाथ से लिख दी। रतलाम के इतिहास में निकाली गई यह पुस्तिका हाथ से लिखी होने के कारण आपने आप में एक दस्तावेज बन पड़ी है। इस हस्तलिखित प्रथम शब्द-शिल्प के संपादन मंडल में शामिल थे, खुद सुरेश परमार

रतलाम को पामणों, राजस्थान में जीतिग्यो

>>ताराचंद आकोदिया, टोंक (राजस्थान) रतलाम ऐतिहासिक नगर है, जिसमें कई महान विभूतियों ने जन्म लेकर रतलाम का नाम रोशन किया है। महात्मा गांधी ने रतलाम को सर्वाधिक शांति-प्रिय नगर कहा था। रतलाम के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. (स्व.) राव देश के प्रथम राष्टï्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की चिकित्सा हेतु बुलाए जाते थे और डॉ. निशिकीकांत शर्मा अपनी उदार तथा समर्पित सेवा भावना हेतु प्रसिद्घ रहे। रतलाम की चार चीजें देश-विदेश में प्रसिद्घ हैं। वो हैं, रतलामी नमकीन सेव, तराजू, लच्छा और बालम ककड़ी। रतलाम सज्जन मिल्स स्कूल के शिक्षक कृष्णराव टाटके की अनुशासनप्रियता का डंका पूरे जिले में गुंजता था और प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर परेड ग्राउंड में इनके छात्रों द्वारा प्रदर्शित पिरामीड पुरस्कृत होते थे। पुराने मध्यभारत में रतलाम के दो सिंह प्रेमसिंह, डॉ. देवी सिंह, जावरा के कैलाशनाथ काटजू, सैलाना के प्रभुदयाल गेहलोत तथा मध्यप्रदेश के गठन के बाद हिम्मत कोठारी इत्यादि प्रदेश के मंत्रीमंडल में रतलाम का प्रतिनिधित्व करते रहे। इसी तरह रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट में वर्तमान में कांग्रेसनीत संप्र

सेवानिवृत्त शिक्षक को मिला बकाया समर्पित अवकाश बिल राशि का भुगतान

'प्रसारण कीखबर का असर ताल, (निप्र)। विगत १४ दिसंबर के अंक में 'उप कोषालय का बाबू रिटायर्ड शिक्षक बैरागी को सता रहा हैÓ के शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया था। समाचार प्रकाशन करते हुए सेवानिवृत्त शिक्षक रामप्रसाद बैरागी ( शा. क. उ. मा. वि. ताल) जिनका ३१ मार्च को सेवानिवृत्त होने के उपरांत स्वत्वों का भुगतान शासन के आदेशानुसार नहीं होते हुए शा. क. उ. मा. वि. ताल के संबंधित बाबू द्वारा समर्पित अवकाश बिल को उप कोषालय शाखा आलोट में नहीं लगाने से अवगत कराया गया था। रामप्रसाद बैरागी ने 'प्रसारणÓ को जानकारी देते हुए बताया कि 'प्रसारणÓ में १४ दिसंबर को समाचार प्रकाशित होते ही तथा आपके द्वारा निरीक्षण दल प्रभारी को समस्या से अवगत कराए जाने के उपरांत समस्या की गंभीरता को देखते हुए तुरंत समर्पित अवकाश बिल उप कोषालय शाखा आलोट में लगते हुए संबंधित राशि का चेक आपको प्राप्त हो गया है। श्री बैरागी ने अपनी समस्या का समाधान होने पर 'प्रसारणÓ को साधुवाद दिया है।

विधायक निधि तो है ना ?

पंकज व्यास कुछ समय से आऊट ऑफ स्टेशन था। रतलाम आया तो देखा कि लोगों में घोर निराशा है। अच्छे-अच्छे बुद्घिजीवियों तक का सोचना है कि रतलाम गड्डे में गिर गया। लोगों ने निर्दलीय को जिताकर गलती की, प्रदेश में भाजपा की सरकार है और रतलाम में निर्दलीय विधायक। कैसे बैठेगा तालमेल और कैसे होगा विकास। यही बात लोगों के मन में रहरह कर उठ रही है। ऐसे निराशा के माहौल में एक व्यक्ति से मेरी मुलाकात हुई। वह मुझसे बोला, अपना शहर तो गड्डï़े में गिर गया रे, समझो रतलाम का विकास रूक गया। मैंने पूछा- क्यों भई ऐसा क्या हो गया? उसने कहा इतना भी नहीं समझा, एमपी में बीजेपी की सरकार और अपने रतलाम में विधायक चुना गया निर्दलीय, अब तो समझो विकास का पहिया रूक गया...? मैंने उससे कहा, विधायक कोई भी हो उससे क्या फर्क पड़ता है, रतलाम का विकास कैसे रूक गया?, रतलाम गड्डे में कैसे? मेरी समझ में नहीं आ रहा है। उसने मेरी बुद्घि पर तरस खाया और समझाने लगा, भई कलमकार तुझको समझ क्यों नहीं आताï? प्रदेश में भाजपा की सरकार है और अपने पारस दादा निर्दलीय है, क्या वे विकास करा पाएंगे? मैं बोला, क्यों नहीं करा पाएंगे। वे पड़े लिखे हैं,

ये शहादत के साथ हत्या भी है, जनाब

>>पंकज व्यास भैया, हमारी परंपरा तो महान बनने की व बनाने की है। सो, हम उसे निभाते आ रहे हैं और निभाते रहेंगे। मुंबई बम धमाकों के कांड में शहीद हुए सैनिकों के साथ भी यही हुआ है। हमने मुंबई में जान गंवाने वाले सैनिकों और लोगों को जगह-जगह श्रृद्घांजलि दे दी और दे भी रहे हैं। उन्हें देश का जांबाज बता कर व उन्हें अपनी भावांजलि अर्पित कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली। एक बात है, यह शहादत से बढ़कर एक ओर चीज है और वह है हत्या। आपको ऐसा नहीं लगता कि सरेआम हमारे सैनिकों और लोगों की हत्याएं हुई है, होती रहती है। हम बड़े गर्व के साथ इन सैनिकों को सलाम करते हैं तथा लोगों को श्रृद्घांजलि देकर रह जाते हैं और कोई कुछ कर नहीं पाता। क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि इन सरेआम हत्या करने वाले हत्यारों को सजा भी मिलनी चाहिए, जैसी एक हत्यारे को मिलती है? आप ही बताओ भई मैं सही हूं ना! बोलो बात सही है ना? क्या कहाïï? कुछ सुनाई नहीं दे रहा। जोर से बोलो भई ? सुनाई नहीं दे रहा, सबको सुनाई देना चाहिए... क्या बोले? सोच कर बोलोंगे? तो सोच कर बोलोगे पर बोले तो सही। ठीक है ना !

इस्तीफा देने से समस्या का समाधान होगा? कठोर निर्णय लेना होगा

वाहिद पठान खान, ताल आतंकवादियों द्वारा निरंतर हमारे देश के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों नगरों, महानगरों, संसद भवन, धार्मिक स्थलों इत्यादि स्थानों पर थोड़े-थोड़े समय के अंतराल में चंद मु_ïीभर आतंकी आते हैं और हमारी सारी सुरक्षा व्यवस्था, खुफिया एजेंसियों को धता बताते हुए सैंकड़ों बेगुनाह निर्दोष लोगों का नरसंहार कर अपने नापाक मंसुबों को पूरा करने पर तुले रहते हैं। घटना घटित कर चले जाते हैं। इस बार आतंकियों ने भारतवर्ष की आर्थिक क्षेत्र की मुंबई महानगरी की विशाल ईमारतों में आतंक का नंगा नाच एवं खुले रूप से मौत का तांडव दिखा कर सारी सीमाएं लांघ दी हैं। सैकड़ों लोगों को मौत की गहरी नींद सुला दिया। कईं लोगों को अपाहित बना दिया, तो कई महिलाओं को विधवा बना दिया। साथ ही हमारे देश ने अपने जाबाज अफसरों, जवानों की शहादत से होटल में बंधक बनाकर रखे भारतीयों, विदेशियों को छुड़ाने में अपनी जान की कीमत चुकाई। हर भारतीय देश के विरों पर गौरव होने के साथ उन्हें श्रृद्घांजलि अर्पित कर रहा है, परंतु इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि ऐसी विकट परिस्थितियों में भी हमारे राजनैतिक दल या तो अपनी-अपनी राजनीतिक रोट