ये शहादत के साथ हत्या भी है, जनाब

>>पंकज व्यास
भैया, हमारी परंपरा तो महान बनने की व बनाने की है। सो, हम उसे निभाते आ रहे हैं और निभाते रहेंगे। मुंबई बम धमाकों के कांड में शहीद हुए सैनिकों के साथ भी यही हुआ है।
हमने मुंबई में जान गंवाने वाले सैनिकों और लोगों को जगह-जगह श्रृद्घांजलि दे दी और दे भी रहे हैं। उन्हें देश का जांबाज बता कर व उन्हें अपनी भावांजलि अर्पित कर अपने कर्तव्य की इति श्री कर ली।
एक बात है, यह शहादत से बढ़कर एक ओर चीज है और वह है हत्या। आपको ऐसा नहीं लगता कि सरेआम हमारे सैनिकों और लोगों की हत्याएं हुई है, होती रहती है। हम बड़े गर्व के साथ इन सैनिकों को सलाम करते हैं तथा लोगों को श्रृद्घांजलि देकर रह जाते हैं और कोई कुछ कर नहीं पाता।
क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि इन सरेआम हत्या करने वाले हत्यारों को सजा भी मिलनी चाहिए, जैसी एक हत्यारे को मिलती है? आप ही बताओ भई मैं सही हूं ना!
बोलो बात सही है ना? क्या कहाïï? कुछ सुनाई नहीं दे रहा। जोर से बोलो भई ? सुनाई नहीं दे रहा, सबको सुनाई देना चाहिए... क्या बोले? सोच कर बोलोंगे? तो सोच कर बोलोगे पर बोले तो सही। ठीक है ना !

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