वाहिद पठान खान, ताल आतंकवादियों द्वारा निरंतर हमारे देश के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों नगरों, महानगरों, संसद भवन, धार्मिक स्थलों इत्यादि स्थानों पर थोड़े-थोड़े समय के अंतराल में चंद मु_ïीभर आतंकी आते हैं और हमारी सारी सुरक्षा व्यवस्था, खुफिया एजेंसियों को धता बताते हुए सैंकड़ों बेगुनाह निर्दोष लोगों का नरसंहार कर अपने नापाक मंसुबों को पूरा करने पर तुले रहते हैं। घटना घटित कर चले जाते हैं। इस बार आतंकियों ने भारतवर्ष की आर्थिक क्षेत्र की मुंबई महानगरी की विशाल ईमारतों में आतंक का नंगा नाच एवं खुले रूप से मौत का तांडव दिखा कर सारी सीमाएं लांघ दी हैं। सैकड़ों लोगों को मौत की गहरी नींद सुला दिया। कईं लोगों को अपाहित बना दिया, तो कई महिलाओं को विधवा बना दिया। साथ ही हमारे देश ने अपने जाबाज अफसरों, जवानों की शहादत से होटल में बंधक बनाकर रखे भारतीयों, विदेशियों को छुड़ाने में अपनी जान की कीमत चुकाई। हर भारतीय देश के विरों पर गौरव होने के साथ उन्हें श्रृद्घांजलि अर्पित कर रहा है, परंतु इस देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि ऐसी विकट परिस्थितियों में भी हमारे राजनैतिक दल या तो अपनी-अपनी राजनीतिक रोट...
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