पंकज व्यास, रतलाम आप अपने बचपन को याद कीजिए। बचपन में चले जाईए। स्कूल के वो दिन याद करें, जब हर शनिवार को आधी छुट्टी के बाद बाल सभा होती, बाल सभा की तैयारी जोरों से की जाती। याद करें वो नजारा, जब मास्टर जी नाम पुकारते और कविता, कहानी, चुटकुले आदि पढऩे के लिए बाल सभा में बकायदा बुलाते। याद करें उस लम्हे को जब मास्टरजी उन दोस्तों को जबरन बाल सभा में खड़ा कर बुलवाते, कुछ भी कहने के लिए प्रेरित करते... .
-पंकज व्यास, रतलाम 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद को कौन नहीं जानता? उनके बारे में, उनके व्यक्ति के बारे में हर भारतीय भलीभांति परिचित होगा। सब जानते हैं कि किस तरह स्वामी विवेकानंद ने अपने विवेक से, अपनी मेधा से पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का परचम फहराया। भारत से लेकर शिकांगो सम्मेलन तक स्वामी विवेकानंद ने भारतीय संस्कृति की अक्षुण्य पताका फहराई है। भारतीय संस्कृति, ज्ञान विज्ञान के आकाश में सूर्य की भांति दैदिप्यमान है विवेकानंद।
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