अब नहीं होती बाल सभाएं, केवल एक दिन चाचा नेहरू आते हैं याद
पंकज व्यास, रतलाम   आप अपने बचपन को याद कीजिए। बचपन में चले  जाईए। स्कूल के वो दिन याद करें, जब हर शनिवार को आधी छुट्टी के बाद बाल सभा होती,  बाल सभा की तैयारी जोरों से की जाती। याद करें वो नजारा, जब मास्टर जी नाम पुकारते  और कविता, कहानी, चुटकुले आदि पढऩे के लिए बाल सभा में बकायदा बुलाते। याद करें उस  लम्हे को जब मास्टरजी उन दोस्तों को जबरन बाल सभा में खड़ा कर बुलवाते, कुछ भी कहने  के लिए प्रेरित करते... .
Comments