यह तो होना ही था: एस.सी. कटारिया

बोफोर्स घोटाले की दशकां से चली आ रही पेचीदा और रहस्यमय कार्रवाई ने अंत में जाकर दम तोड़ दिया। आखिर में वही हुआ, जिसकी संभावना थी, फाईल बंद हो गई।

इस प्रकरण के प्रमुख कथित आरोप क्वात्रोची पर कानून व नियम का शिकांजा राजनीति के रसूखदार लोगों के जुड़े रिश्तों के तारों के सामने ढीला पड़ गया। पूरे मामले में पहलेही राजतंत्र की मंशा स्पष्टï थी।

फिर भी यदि कोई गंभीर मामला इतना लंबा खिंचता है, तो उसका ऐसा ही हश्र होता है। आज औसजन तो गंगागाराम है, जिसके यह समझ में नहीं आ रहा है कि इस पूरे अध्ययाय में इटली का यह नटवर लाल जीता या भारत का शासनतंत्र हारा।

खैर, विपक्ष को एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बहस से वंचित होना पड़ रहा है।
>>एस.सी. ·टारिया, रतलाम

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